छुट्टियों का सदुपयोग पर निबंध | Essay on The Use of Holidays in Hindi

छुट्टियों का सदुपयोग कर पाना बहुत ही मुश्किल काम है। हर कोई छुट्टियों का सदुपयोग नहीं कर पाता और इधर उधर की बातों में अपना पूरा समय व्यर्थ कर देता है।

छुट्टियों का सदुपयोग करने बंद आपको छुट्टियों के सदुपयोग के लिए प्रेरित करता है। ताकि आप अपना समय बर्बाद न करें और अपने जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु समय का सदुपयोग करें। 

"छुट्टियों का सदुपयोग" written on white background and animated image of family on vacation

छुट्टियों का सदुपयोग | Use of Holidays in Hindi

मेरी परीक्षा अभी दो दिन पूर्व ही समाप्त हुई है। कक्षा के सवारम्भ से अ वरत ज्ञान-संचय में लीन रहनेवाला मन क्लान्त हो उठा था । पर परीक्षार्थी अपने को कितना हलका अनुभव करता है, इसकी अनुमति परीक्षा को ही हो सकती है। इसके पहले भी अवकाश के क्षणों के लिए मेरी योजन पर, परीक्षा दे बनती थी, पर भारतीय पंचवर्षीय योजनाओं के समान लक्ष्य की पूर्ति कभी नहीं हो पाती थी ।

छुट्टी का सही इस्तेमाल आत्मसंतोष देता है

किन्तु इस बार मेरी योजनाओं का आधार बड़ा दूई है। मेरी योजना इस बार के अवकाश का इस प्रकार उपयोग करने की है कि इससे हमारे ज्ञानतन्तु तो ग्रहण करेंगे ही, साथ-ही-साथ ज्ञान-परिधि का विस्तार भी सम्भव होगा आत्मसंतोष की भी उपलब्धि होगी।

आज बीस मार्च है । अवकाश की अवधि लम्बी है। आठ-दस दिन तो मैं भ्रमण, मनोरंजन, सगे-सम्बन्धियों से मिलने एवं मित्रों के साथ घूमने में बिताऊँगा । वाराणसी भारतवर्ष का प्रधान सांस्कृतिक पीठ एवं धार्मिक महत्व का स्थान है । हमारे पूर्वजों ने अपनी सांस्कृतिक परम्परा को सुदृढ़ बनाये रखने के लिए एवं भारत के जन-जन में एकता की भावना का संचार करने के लिए यात्रा को ‘तीर्थ’ की संज्ञा देकर धर्म से सम्बन्धित कर दिया है। परिभ्रमण एवं पर्यटन के द्वारा हम नित्य नये व्यक्तियों के सम्पर्क में आते हैं, उनकी रीतियों, विचारों एवं भावों से प्रभावित होते हैं। इस प्रकार हमारा मानस विश्व से सम्पर्क स्थापित करता है । इससे हमारी मानसिक वृत्तियों का परिष्कार होता है तथा हमारे दृष्टिकोण ब्या पकता प्राप्त करते हैं। हमारे अनुभवों की इस प्रकार अभिवृद्धि भी होती है एवं भावनात्मक सम्बन्धों की हमारी परिधि भी बढ़ती है। इस प्रकार हम ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना के अधिक-से-अधिक निकट आते हैं।

साहित्य का अध्यन छुट्टी का अच्छा सदुपयोग माना जाता है

पाठ्यक्रम की पुस्तकें ही हमारे ज्ञान की सीमा न हों, हमें अपनी अभिरुचि के अनुसार इस सीमित क्षेत्र से बाहर आकर ज्ञान के उस विशाल कोप की झांकी प्राप्त करनी चाहिए। मुझे प्रेमचन्द की कहानियां बड़ी प्रिय है। मेरे मित्र सुनील के व्यक्तिगत पुस्तकालय में सम्पूर्ण प्रेमचन्द – साहित्य उपलब्ध है। उनसे मेरे अवकाश के क्षणों का सुन्दर उपयोग हो सकेगा। इसके अतिरिक्त गाँव के पुस्तकालय में टैगोर एवं शरत् साहित्य के हिन्दी अनुवाद भी प्राप्य हैं। उसके द्वारा भी में अपनी जिज्ञासा एवं कौतूहल को शांत करूंगा। सम्पूर्ण प्रसाद साहित्य मेरे लिए आकर्षण का केन्द्र है, अतः उसे पढ़कर भी मेरी चिर चित्त लालसा तृप्त होगी।

इस अवकाश में एक साहित्यिक गोष्ठी के निर्माण का भी विचार मैंने और मेरे कुछ मित्रों ने किया है। इस गोष्ठी के प्रमुख प्रबन्धक मेरे परम मित्र सुधांशुजी होंगे। प्रत्येक सप्ताह इसकी बैठक हुआ करेगी। इसके सदस्य गाँव के साहित्य में अभिरुचि लेनेवाले व्यक्ति होंगे। इसमें वे अपनी रचनाएँ पढ़कर सुनाया करेंगे, ग्रामीण कवि अपने मधुर गायन से वातावरण में सरसता का संचार करेंगे एवं अन्त में सुधीजन रचनाओं पर अपने विचार देकर भावी लेखकों एवं कवियों का मार्ग दर्शन करेंगे ।

इन सद्कार्यों से भी शेष अवकाश में मैं लेखनी द्वारा अपनी भावनाओं एवं वैचारिक प्रतिक्रियाओं को अभिव्यक्त करूंगा। इस बार मेरा विचार एक नाटक, दो-चार कहानियाँ एवं कुछ कविताएँ लिखने का है।

महापुरुषों की जीवनी एवं विज्ञान के शोध पढना भी एक बेहतर विकल्प 

पुनः विज्ञान की कुछ पत्र-पत्रिकाओं, जैसे विज्ञान-जगत्, विज्ञान-लोक आदि का भी अवलोकन मैं करूंगा। इन पत्रिकाओं के अतिरिक्त आइंस्टीन एवं न्यूटन की जीवनियाँ भी पढ़गा। महापुरुषों एवं वैज्ञानिकों की जीवनियाँ हमारे मानस को उनके विचारों एवं कार्यों से प्रभावित करती हैं। वे प्रेरणा के अजस्र स्रोत हैं।

छुट्टी के अन्तिम पन्द्रह दिनों में में अगले साल की पढ़ाई का आरम्भिक ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करूंगा। छुट्टियों का सदुपयोग हमारे जीवन को सार्थक दिन साल में बदलते रहते हैं। मानव आखिर जीता कितने साल है। फिर इसी एवं महान् बनाता है। कारण, सेकेण्ड मिनटों में, मिनट घंटों में, घंटे दिनों में और में उसे खाना-पीना-सोना करना भी है, जिसमें उसके कितने ही साल खप जाते हैं। ऐसी हालत में छुट्टियों का सदुपयोग ही हमें उन कार्यों को करने का आधार देता है, जिनसे मानव-जीवन सही माने में विकास कर पाता है। छुट्टियों का सदुपयोग करनेवाले अपने जीवन में बढ़ते ही हैं।

चलते-चलते :

छुट्टियों के सदुपयोग पर निबंध आपको कैसा लगा? हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं। साथ ही साथ अपने दोस्तों के साथ इसे साझा जरूर करें। ताकि आप के साथ साथ आपके दोस्त भी अपनी छुट्टियों का सदुपयोग कर सके।

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