सदाचार पर निबंध | Essay on Virtue in Hindi

सदाचार पर निबंध नई उम्र के बच्चों एवं युवाओं को आधुनिक युग में सदाचार का अर्थ बताने एवं बुनियादी शिष्टाचार से परिचित कराने में सहायक होगा। 

आज भी उचित अनुशासन एवं सदाचार के अभाव में कई युवा भटकते जा रहे हैं।

जिसके कारण वो अपने जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति करने में पीछे रह जाते हैं और बाद में चलकर उन्हें पछताना पड़ता है। 

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सदाचार का अर्थ | Meaning of Virtue in Hindi

‘सदाचार’ शब्द दो शब्दों के मेल से बना है ‘सत्’ और ‘आचार’ । ‘सत्’ का अर्थ है ‘सही’ और ‘आचार’ का अर्थ है ‘आचरण’ । अतः ‘सदाचार’ का अर्थ हुआ ‘सही आचरण’।

मनुष्य में सदाचार का होना बहुत जरूरी है। यह न केवल मनुष्य को ‘मनुष्य’ बनाता है, उसे पूर्ण मनुष्य’ भी बनाता है। यह सदाचार ही है जो मनुष्यों को जानवरों से अलग करता है। कारण मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। मनुष्य का जन्म समाज के अन्दर होता है, समाज में ही वह पाला-पोसा जाता है, समाज में ही वह विकास करता है, जीवन यापन करता है और अंतिम सांस लेता है। इस क्रम में उसे हर पल समाज का साहचर्य प्राप्त होता रहता है, समाज के सहयोग की जरूरत होती है और बदले में समाज को कुछ देना एवं अपना कर्तव्य पालन करना होता है। बस यही सदाचार’ की जरूरत होती है। जो आदमी सदाचार से अपरिचित है अथवा जिसमें उसका संस्कार पैदा नहीं हुआ है, वैसा आदमी सही अर्थों में न तो सामाजिक मनुष्य हो सकता है, न समाज से बहुत कुछ पा सकता है और न समाज को कुछ दे हो सकता है ।

माता-पिता सिखाते है सदाचार 

‘सदाचार’ का पहला पाठ मनुष्य अपने परिवार में ही पड़ता है। परिवार में उसके माता-पिता हमेशा सबसे निकट रहनेवाले सदस्य होते हैं। बाल्यावस्था में ये ही उसे बतलाते है कि उसे किस प्रकार खाना, कपड़े पहनता, सोना, बड़ों को नमस्ते करना या बोलना चाहिए। वे उसे परिवार के अन्य छोटे-बड़े सदस्यों के साथ सही व्यवहार करने का ढंग सिखलाते हैं। इसके बाद ज्ञान देने वाले गुरु या ‘आचार्य’ का स्थान आता है, जो उसे पुस्तकीय शिक्षा देने के साथ-साथ सामाजिक शिष्टाचार को भी शिक्षा देते हैं। पुस्तकीय शिक्षा के द्वारा ही मनुष्य जान पाता है। कि समाज का व्यापक स्वरूप और महत्व क्या है ? उसको नागरिकता का अर्थ क्या है? एक नागरिक के रूप में उसके अधिकारों एवं कर्तव्यों की सीमारेखा क्या है ? वह बड़ा होकर अपने पड़ोसियों को पहचान पाता है और उनके साथ प्रेमपूर्वक रहने, हमेशा सहयोग के लिए तत्पर रहने के महत्त्व को भी। ये सारी चीजें ‘सदाचार’ की सीमा में ही आती हैं। कारण जो मनुष्य सदाचार से परिचित होता है, वही अपने परिवार,

सदाचार से मिलती है कर्तव्य निर्वहन की प्रेरणा

पड़ोस और विभिन्न सामाजिक अवसरों पर शिष्टाचार का भी परिचय दे पाता है। आज के सामाजिक मनुष्य का जीवन बड़ा ही वैविध्यपूर्ण है, अतः उसके सदाचार का सन्दर्भ भी बदलता रहता है। उदाहरण के लिए, परिवार में रहनेवाले मनुष्य के लिए सदाचार का अर्थ है छोटे-बड़े सभी सदस्यों के साथ अपने कर्तव्य’ का पालन करना, यानी वह विद्यार्थी है तो मन लगाकर पढ़ना, व्यापारी है तो व्यापार के स्वीकृत नियमानुसार उचित व्यापार करना; खेतिहर गृहस्थ है तो अच्छी खेती-बारी कर अपनी उपज की उचित मूल्य लेना और किसी व्यक्ति, संस्था या राज्य की किसी प्रकार की सेवा में है तो उसके नियमानुकूल अपना कर्तव्य निर्वाह करना। अपने पेशे में ईमानदारी नहीं बरतनेवाला व्यक्ति कोई भी हो – प्राध्यापक हो, सैनिक हो या किसी कार्यालयका कर्मचारी हो- ‘सदाचारी’ नहीं माना जा सकता।

सामाजिक सदाचार से कानूनी सदाचार का स्वरूप किंचित् भिन्न होता है। कानूनी सदाचार का अर्थ है कि एक ‘नागरिक’ अपने ‘राज्य’ के एवं केन्द्रीय या संघीय कानूनों का सम्मान करे और अपने व्यवहार में उसका निर्वाह करे। वह अपने समान ही दूसरे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करे, किसी की सम्पत्ति पर आंख नगड़ाये, यदि उसकी आय अधिक है तो नियमानुसार आपकर दे और अन्य विधि व्यवस्था का भी पालन करे। इनका उल्लंघन करने के कारण तस्करों को घृणा की नजरों से देखा जाता है। 

चोर-डाकुओं और धार्मिक सदाचार का स्वरूप भी भिन्न होता है। यह मुख्य रूप से धर्मशास्त्रो एवं पण्डित पुरोहितों के उचित परामर्श को आचरण में उतारने के रूप में होता है। उदाहरण के लिए, किसी धार्मिक स्थल पर वहाँ के नियमानुसार जाना एवं आचरण करना ही वहाँ का सदाचार है। भले और समझदार मनुष्य सदाचार की हर कसोटी पर खरे उतरते है और आदर्श ‘सामाजिक’ होते हैं।

आज के इस युग में जहां कदाचार, तनाव, गलत प्रतियोगिता की भावना, आर्थिक, धार्मिक समस्याएँ इतनी बढ़ गयी हैं वहाँ सदाचार का महत्व और अधिक हो गया है। मनुष्य एवं समाज, दोनों की उन्नति और मधुर सम्बन्ध के विकास के लिए सदाचार का पालन निश्चय ही आवश्यक है।

चलते-चलते :

सदाचार पर निबंध के अंतर्गत आपने जाना सदाचार का अर्थ एवं किस प्रकार से सदाचार समाज में एक आधार बनाने में सहायक है। यदि आपको यह निबंध पसंद आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ साझा जरूर करें।

यदि अपने जीवन में सदाचार को अपनाने के बाद आपके जीवन शैली में कोई परिवर्तन आया है, तो आप उसे भी कमेंट बॉक्स में हमारे पाठकों के साथ साझा कर सकते हैं, जिनसे उन्हें भी प्रेरणा मिले। 

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