युवा पीढ़ी की समस्याएँ (Problems of Youth In Hindi) : जब हम युवावस्था में प्रवेश करते है तो हमें youth problems यानि की युवा पीढ़ी की समस्याओ से भी गुजरना पड़ता है.
इस लेख के जरिये हम युवा पीढ़ी की उन सभी समस्याओं पर चौचक चर्चा करेंगे जो कही न कही हम युवाओ की आम जिंदगी को प्रभावित करती है.
युवा पीढ़ी को समस्याएँ | Youth and There Problems In Hindi
किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी के रचनात्मक निर्माण पर ही निर्भर करता है। कारण, किसी राष्ट्र की प्रगति का अर्थ होता है--"उसके नाग रिकों की प्रगति" ।
नागरिकों में जो बच्चे और बूढ़े हैं, उन्हें संरक्षण देना ही प्रमुख होता है। बच्चों के लिए संरक्षण की आवश्यकता इसलिए होती है कि वे ही आगे चलकर 'युवा' बनते हैं। बूढ़ों को संरक्षण देना हमारा नैतिक कर्तव्य होता है, कारण वे बीते कल के 'युवा' होते हैं, जिन्होंने राष्ट्र को प्रगति पथ पर चलाकर वर्तमान तक पहुंचाया है। वस्तुतः किसी भी राष्ट्र की वर्तमान युवा पीढ़ी ही उसकी चतुर्दिक् सर्वांगीण प्रगति के लिए जिम्मेवार होती है। पर, अपने राष्ट्र में युवा पीढ़ी का जो व्यक्तित्व, स्वरूप और चरित्र है, वह गम्भीर चिन्ता का विषय वन गया है।
वर्तमान युवा पीढ़ी की जिवनशैली
वर्त्तमान युवा पीढ़ी का बाहरी व्यक्तित्व अजीबोगरीब है। गाँवों के देश इस भारत में एक ओर जहाँ विज्ञान और शिक्षा की रोशनी की पहुँच से बाहर होने के कारण बहुत-से ग्रामीण एवं आदिवासी युवक अपने उसी परम्परागत जड़ व्यक्तित्व को ढो रहे हैं, वहाँ नगरों और महानगरों का युवा वर्ग 'हिप्पी' पीढ़ी में बदलता जा रहा है अथवा बहुत कुछ बदल गया है।
वे अफलातून शैली में रहते-सहते हैं, खाते-पीते हैं और व्यवहार भी करते हैं। यीन-आचरणों के मामले में यह देश न तो कभी उच्छृंखल रहा है और न इसने वैसे आचरणों को मान्यता ही दी है, बल्कि उसे चारित्रिक एवं अन्ततः सम्पूर्ण व्यक्तित्व के पतन का मुख्य आधार माना है। पर, वर्तमान युवा पीढ़ी से इस विवेक का लोप होता जा रहा है। पाश्चात्य हिप्पीवाद इस संस्कृति-पुरातन देश के महा नगरों पर जैसे पूरी तरह उतरता जा रहा है। अधिकांश युवकों को पढ़ने से कोई मतलब नहीं है। परीक्षा के समय नकल की प्रवृत्ति बेहद बढ़ती जा रही है। उस समय सम्बद्ध विषय के गिने-चुने सवाल पढ़ या याद कर लिये जाते हैं और उन्हीं के सहारे परीक्षा की वैतरणी पार कर ली जाती है। आज आम दिनों घटित हो रही अपराध की घटनाओं में गुमराह युवकों का बहुत दूर तक हाथ पाया जा रहा है। वस्तुतः ऐसा क्यों हो रहा है? यह परिस्थिति निश्चय ही हमें सोचने को बाध्य करती है ।
गम्भीरता से आज अपने देश के युवा वर्ग की सम्पूर्ण गतिविधि की छानबीन करने पर जो बातें सामने आती हैं, उनकी रोशनी में वे स्वयं अपराधी नहीं मालूम पढ़ते। वस्तुतः वे ऐसा होने के लिए बाध्य हो रहे हैं। उनके ऐसा होने के पीछे अनेक कारण सक्रिय हैं, पर जो कुछ कारण अतिमुख्य हैं, वे ये हैं.
युवा पीढ़ी की समस्याओ के कारण
1.अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं एवं जीवन-मूल्यों से बढ़ता अपरिचय
2. शिक्षा-काल में रचनात्मक कार्यक्रमों का अभाव
3. शिक्षा के बाद बेकारी का आतंक
4. दूषित वातावरण से प्रेरणा
5. घटिया राजनीति का हस्तक्षेप
विश्व के जो देश अपनी प्राचीनतम सभ्यता और संस्कृति के मामले में अग्रणी माने जाते हैं, उनमें यह देश एक तो है ही, कई की दृष्टि में प्राचीनतम भो माना जाता है। सभ्यता और संस्कृति, दोनों ही के क्षेत्रों में इसकी उपलब्धियाँ बहुत बड़ी और विविध रही हैं।
लोक-कल्याण के लिए त्याग, ज्ञान, तपस्या आदि के क्षेत्रों में इस देश की भूमि पर एक-से-एक महापुरुष अवतरित हुए हैं, महनीय घटनाएँ घटी हैं और युगान्तरकारी रचनाएँ की गयी हैं।
पर, लगभग पूरी तरह से पाश्चात्य प्रभाव के साये में चलनेवाला, इस देश या राष्ट्र का युवा वर्ग अपनी इन महती परम्पराओं से न केवल अपरिचित है, बल्कि इसका यह अपरिचय-भाव दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।
युवा-वर्ग के सही व्यक्तित्व के निर्माण के लिए न केवल उसके जीवन से जुड़ी शिक्षा अनिवार्य है, बल्कि शिक्षा काल में हमेशा रचनात्मक कार्यक्रमों में उसका व्यस्त रहना भी आवश्यक है।
पर, प्राय: देखा यही जा रहा है कि किताबी अध्ययन के अतिरिक्त युवा वर्ग को किसी प्रकार की न तो रचनात्मक व्यस्तता है और न उसके बारे में सम्यक दिशा-निर्देश ही मिल पाता है।
बेरोजगारी है युवा पीढ़ी के पतन का मुख्य कारण
बची-खची कसर शिक्षा के बाद अनिवार्य रूप से मिलनेवाली बेरोजगारी का आतंक पूरा कर देता है। पढ़-लिखकर भी जिस देश का युवा वर्ग बेरोजगार रह जाता हो, अपनी आजीविका के लिए परिवार अथवा घटिया स्तर के गोरख-धन्धों पर निर्भर कर रहा हो और निरन्तर मानसिक हीनता का शिकार बन रहा हो, उससे महान् उपलब्धियों की ओर ले जानेवाले मार्गों का अभियान कैसे सम्भव है ? यदि एक-दो अपवाद निकल भी जाते हैं तो वह भी विस्मय की ही बात है।
इस समय चारों ओर का वातावरण भी बेहद दूषित है। सामाजिक जीवन में सभी तरह के अपराधों का अनायास घटित होना आज आम बात है। पूंजीपति वर्ग के हाथ में पड़े सिनेमा जैसे मनोरंजन भी अपराध करने और कदाचारिता अप नाने के मुख्य स्रोत बन गये हैं। इस सबके ऊपर देश में चल रही घटिया राजनीति है। परन्तु, आज वही प्रेरणा का सबसे बड़ा क्षेत्र बन गया है।
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युवाओं कि समस्या का समाधान
वस्तुतः राष्ट्रहित को समर्पित बुद्धिजीवियों के आगे आने का यही सबसे अच्छा अवसर है। उनके मार्ग-निर्देशन से ही युवा वर्ग की समस्याएँ सही दिशा पकड़ सकती हैं और फिर से इस पुरातन राष्ट्र का कायाकल्प हो सकता है।
आज इस बात की जरूरत है कि युवा पीढ़ी की समस्याओं एवं उनके प्रेरक कारणों का व्यापक अध्ययन हो और उनके समाधान के लिए लक्ष्योन्मुखी कदम उठाये जायें । ऐसा किये जाने पर ही युवा पीढ़ी राष्ट्र का सरदर्द सिद्ध न होकर उसके सर्वांगीण विकास का संवाहक सिद्ध होगी और इसका स्वर्णिम भविष्य साकार हो सकेगा।
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